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Saturday, March 17, 2012

संवेदना

डायरी  के पन्नों पर उकेरे  गए उन शब्दों में
आज भी कही एहसास बाकी है,
गुज़र गए साल तेरे जाने के बाद
पर शब्दों में जान अभी बाकी है|
मिटे नहीं जज़्बात तुझसे बिछुड़कर
करने को तुझसे अब भी
कोई बात बाकी है|
मेरी आँखे सोयी नहीं अबतक
कि तेरे लौट आने का अरमान बाकी है
हुई क़ुबूल कई दुआएं मेरी
खुदा का मुझपे बस एक एहसान बाकी है
उठा देना मेरा ज़नाज़ा उसके आने के बाद "अधृत"
कि आने को अब वही एक मेहमान बाकी है|
                            

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